भाभी जी आ जायेगा
मिडिल क्लास गृह स्वामिनी
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‘अतिरिक्त’ और भी बहुतेरे
पति बच्चों के लिए
अल-सुबह से आधी रात
चकरघिन्नी की तरह नाचते हुए
उपर से उलहना
करती ही क्या हो
सीने मे तीर मानिंद चुभता
अपने हैं कह भी दिया तो क्या
मानसिकता बैलेंस बनाए रहती
अपर मिडिल क्लास गृह स्वामिनी
‘अतिरिक्त’ को छोड़ के
कामवाली बाई
अत्यंत कुशल सर्वगुण संपन्न
मौन रह के सारे काम
मन लगा के करती
अपने घर की गृह स्वामिनी
अन्य कई घरों को भी सम्भालती
डरती कहीं चूक न हो
हर घर की गृहस्वामिनी को भाभी जी कहती
इनके भय से आतंकित रहती
टाइम का ख्याल नही
रोज लेट आती हो
जैसे चेहरा चमकाती हो
फर्श कपड़े भी चमकाया करो
‘जी, भाभी जी’ कह के चुप हो जाती
जी जान लगा के काम करती
फिर भी सुनती रहती
राजा, राजा से सम्मानपूर्वक व्यवहार करता
गृह स्वामिनी, गृह स्वामिनी से क्यों नही
नारी ही नारी की दुश्मन
मानवीय संवेदनाओं का ह्रास
अर्थ युग की त्रासदी
स्पष्ट सुनी जा सकने वाली
भयमिश्रित बुदबुदाहट
कपड़े तो चमका दिए
जल्दी फर्श भी चमका दूं
नहीं तो भाभी जी आ जाएगा
बोलेगा, ये क्या
अभी तक नही हुआ ?
स्वरचित मौलिक
@ अश्वनी कुमार जायसवाल