भागी हुई लड़की
नन्ही सी परी थी
ओस की बुंदो सी नाजुक थी
बर्फ की छतरी तले
भोर की मुस्कान मेंं
होठों पे लाली लगाये
आंखों मेंं काजल सजाये
आशाओं का समंदर लिये
वो आयेगा
इस वादे मेंं लिपटी थी
पर वो नहीं आया…………
इंतजार सिसकी मे बदल गई,
होठों की लाली
आंखों की लाली में बदल गई,
आंखों का काजल
आंसुओं से धुल गया,
भोर की मुस्कान
दोपहर के ठहाकों मे
तब्दील हो गया,
और सांझ के बदलते ही
दुनियांं की हंसी ने
उसे जमींदोज कर दिया ।
नन्हींं सी परी थी
ओस की बुंदों सी नाजूक थी।।
~रश्मि