भाई
रिश्ता अनूठा प्रेम का भैया, बंधन ये अमर रखना।
कहे बहन ये भाई से कभी तो मेरी भी खबर रखना।
लगा के रोली माथे दूज की,मंगल कामना है करती,
खुशहाली,सफलता लाए,बढ़ती रहे तेरी जीवन ज्योति।
एक आंगन में हम तुम खेले, दूर करें ये जग के झमेले,
दिल से जुड़ी डोर ये अपनी, टूटे कभी न बंधन के मोती।
उगा रहे उम्मीद का सूरज, चमके तू जग के सितारों सा,
भाई मेरे खुश रहे सदा तू, गीत यही है मेरे त्योहारों का।
हंसना- रोना, रूठना-मनाना, याद आए बचपन सुहाना,
अनूठे रिश्तों में रिश्ता अपना, बंधन कभी न ये भुलाना।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश