– भाई -भाई की भुजा होता है –
-भाई-भाई की भुजा होता है-
भाई-भाई के लिए होता है भुजा के समान,
इस बात को मिला दुनिया मे मान,
इतिहास भरा पड़ा है भाइयो के ,
प्रेम, अपनत्व, भातृत्व की भावना से,
श्री राम ,लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न,
ये चार थे भाई एक युग में,
दो को मिला वनवास,
दो को मिला राजकाज,
तत्पर थे अग्रज की सेवा अनुज लक्ष्मण,
वनवास के दौरान दिया उन्होंने श्री राम का साथ,
भरत सा भातृत्व प्रेम भी ,
नही मिले इस सँसार में,
सोए जब भाई जमीन पर,
भरत शय्या पर कैसे सोए,
गए भरत वनवास,
धरती पर गड्ढा खोदकर सोए,
द्वितीय उदाहरण कुम्भकर्ण का,
जब आई भाई पर विपत्ति घनघोर,
तब भाई में था भले ही दोष,
कुम्भकर्ण हुआ रावण (भाई)की औऱ,
भले मर जाना पड़ा ,
पर पाँव पीछे न धर पाया,
कहता गहलोत आपसे चाहे हो कैसा भी मतभेद/मनभेद,
जब भाई दिखे पीड़ा में भरत जाना भाई की और,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
सम्पर्क सूत्र-7742016184-