****भाई दूज****
माथे पर चंदन का टीका
हाथों में आरती की थाली
आया है त्यौहार प्यारा
भाई दूज का पर्व निराला।
अमर प्रेम की है ये गाथा
अवसर ये हमको सिखलाता
बहनें,कुमकुम, रोली लाई
मंगल,पवन सी घड़ियां आई।
भाई-बहिन रिश्ते की डोरी
ईश्वर की रची अटूट जोड़ी
सज गई मुखड़े पर मुस्कानें
बहनें गा रही प्रेम तराने।
इक दूजे का मुख निहारते
कभी हँसते कभी दुलारते
मनभावन मिठाई सजाई
रिश्तों में मिठास घुल आई।
दीर्घायु की कामना करती
भातृ प्रेम में सज सँवरती
थाल सप्रेम,अनुपम सजाये
भाई-बहिन का त्यौहार मनाये।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक