भाई चारा अपना ले
भाई चारा अपना ले
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संत ज्ञानी कहते है,
भाई चारा अपना ले।
प्रेम की गंगा को,
जीवन में बसा ले।।
मत करो बैर भाव ,
सत्य असत्य को जानें।
भाई के इस रिश्ते को,
अटूट बंधन बना ले।।
मिलजुल कर रहना,
कठिन परिश्रम कर ले ।
आसमां तुम्हारे कदमों में रहे,
ऐसी मंजिल को पा ले।।
दंग हो जाये देखकर,
अब दुनिया वाले भाई।
ऐसा महान काम कर,
कि मिशाल बन जाए।।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,
हम सब भाई भाई।
बना ले ऐसी एकता,
विश्वबंधुत्व की भाव आ जाए।।
मंदिर में शंख फुक दे,
या अजान पढ़ दे।
नहीं कोई बैर अब,
ऐसा कोई जयघोष कर दे।।
भाई भाईजान ईद होली,
अब संग संग मनाए।
न हो कहीं अंधेरा अब,
जग सारा रोशन हो जाए।।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना ,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822