भाईदूज
रक्षाबंधन पर आयी नहीं
शायद बीमार पड़ी थी वह,
भाईदूज में बहना मेरी
अब दौड़ी दौड़ी आयी वह।
मेरे पसंद की लिए मिठाई
कुमकुम लाल चटकता सा,
लिए मोगरे की सुगंध
गेंदा हार का चमकता सा।
साथ में पैकेट कपडे का
महंगा सुन्दर लगता था,
बना दुलारा दीदी का मैं
नखरा खूब किया करता था।
था सबसे छोटा भाई मैं
बहना मेरी सबसे बड़ी थी,
बहुत फायदा इसका था
जो चाहा सब मुझे मिली थी।
पहन के सुंदर-सुंदर कपडा
मैं बना हुआ राजा भैया था,
खूब मिठाई खाई मैंने
नकदी मुझको और मिला था।
निर्मेष चाहता मैं हूँ सदा
रोज रोज आये दीवाली ,
भरी मांग से दीदी आये
करती रहे मेरी रखवाली।
निर्मेष