भांतु समाज जिन्दाबाद
*****जिन्दाबाद भांतु समाज*****
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यो म्हारा भांतु समाज जिन्दाबाद
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
कहीगे वड्डे वडेरे यो सारियां बातां
किदा गुजारियाँ थियाँ कालियाँ राता
नाहीं बदले हैगड़े म्हारे रिति रिवाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
थाँईं थाँईं उजड़े और थाँईं थाँई बसे
नाहीं अक्के, नाहीं थके, नाहीं नस्से
नाहीं घबराए , लड़े थिये जिदा बाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
माल्हा बिढ्ढ़ू, म्हारिया कौमां के सूत्र
बारह माल्हे, आठ बिढ़्ढूआ के गौत्र
ब्याह, सगांइयाँ, मौता के साज बाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
भूल़ी गये खानदानी खाने,बाने,ताने
जिद्दोजिद्दी दिखते हैंगड़े पुलिस थाने
बिगड़ी गया यो आजा वाला समाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
समाजा के ठेकेदारो,करी लो सुधार
नाहीं तो उजड़ी जांगड़े घर परिवार
बरादरिया थाँई थम करो कामकाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
सुखा देई रह्या हैगड़ा रोज दुहाइयाँ
नशे पते छोडी कै करिलो कमाइयाँ
हाथ जोड़ी कै कहता रखी लो लाज
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
यो म्हारा भांतु समाज जिन्दाबाद
जिन्दाबाद यो म्हारा भांतु समाज
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)