भविष्य
साथ समय ने जब दिया
तब ख़ास कुछ भी किया नही।
व्यर्थ गवांते रहे वक़्त को
ध्यान भविष्य पर दिया नही।
घूमना फिरना काम रहा
चर्चों में बदनाम नाम रहा।
कुछ करने का प्रयत्न किया नही
ध्यान भविष्य पर दिया नही।
बिता दिया वो वक़्त क़ीमती
बस यारों की यारी में।
कुछ दिल की पहरेदारी में
कुछ फ़रेबी दुनियादारी में।
नासमझ मैं समझ सका न
क़दम सही से चल सका न।
फँसकर जोश जवानी में
रास्ता कोई इजात किया नही।
ध्यान भविष्य पर दिया नही।
गेम खेलकर टी.वी देखकर
हर पल को बर्बाद किया।
कैसे बनेगा बेहतर कल
न इस पर कोई विचार किया।
झूम गाकर मस्ती में
जिम्मेदारी को टाल दिया
कभी लड़की के पीछे भागे
कभी घर मे डाका डाल दिया।
किया न गौर आगामी दौर पर
बस वर्तमान पर जोर दिया।
जो होगा देखा जाएगा कहकर
क़िस्मत पे सब छोड़ दिया।
सही समय का मैंने
सदउपयोग किया नही।
नित काम किये हेरा फेरी के पर
ध्यान भविष्य पर दिया नही।
कवि-विवेक कुमार विराज़