उम्मीद
ऐसा कुछ हुआ नही कि गर्व करू अपने अतीत पर।
पर उम्मीद रखता हूं आने वाले भविष्य की जीत पर।।
उन्हें है बेसब्री से इंतजार उस पल का जब तू हार जाएगा।
तू भी इंतज़ार कर उस हार का जो तेरी जीत पर पहनाया जाएगा।।
उन्हें लगता है कि तुमने कठिन परिश्रम किया नही।
तेरा बौद्धिक परिश्रम और चिन्तन उन्हें दिखा नही।।
शायद वो मुझे बहुत मज़बूर देखना चाहते थे।
पर ईश्वर ने इतना मज़बूर आज तक किया नही।।
वो गिरते चले गये हमे गिराने के चक्कर मे।
हम उनसे मीठा बोलते रहे जितनी मिठास न होगी शक्कर मे।।
उनके लिए पैसा सबकुछ हमारे लिए मानवता की सेवा।
पर वो कहते है बिना पैसे कैसे करोगे मानवता की सेवा।।
हमने कहा तुम्हारे नोटो से भारी हमारे शब्द है।
हमारी अनोखी बात सुनकर वो निःशब्द है।।
……………..शोएब खान शिवली।