भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
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भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय,
गर्मी में देते हो ठंडी छांव प्रिय।
मै भोली भाली ऐसी अबला हूं,
मीठी निबोली खाती हूं प्राण प्रिए।
मैं तेरी छांव में जीवन बिता दूंगी,
अपना सब कुछ तुम पे लुटा दूंगी।
एक बार तुम मुझको अपना लो,
सातों जन्म तेरे साथ निभा दूंगी।।
तुम मीठे फल देने वाले तरु मेरे,
जीवन भर आश्रय देने वाले मेरे।
कभी न करना अलग मुझको तुम,
मैं चांदनी हूं तेरी तुम चांद हो मेरे।
तुम शीतल चंदन हो प्राण प्रिए,
मैं जहरीली नागिन हूं प्राण प्रिए।
लिपटी रहती हूं मै तुमसे सदा,
फिर भी ठंडी सुगंध देते हो प्रिय।।
तुम गुणी मै अवगुणी प्राण प्रिए,
मेरे अवगुणों पर न दो ध्यान प्रिय।
फिर भी प्रांशसा करते हो तुम मेरी
मैं तुम्हारे लायक न हूं प्राण प्रिए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम