क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
(8) मैं और तुम (शून्य- सृष्टि )
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चुना था हमने जिसे देश के विकास खातिर
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
बह्र - 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
********* कुछ पता नहीं *******
*स्वामी विवेकानंद* 【कुंडलिया】
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
*किस्मत में यार नहीं होता*
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा