भला लगता है
परिंदों का चहचहाना
भला लगता है।
फसलों का लहलहाना
भला लगता है।
तुतली बोली में पूछे
मासूम सवालों को
सुलझाना
भला लगता है।
एकांत में बैठकर
चुपके-चुपके
गुनगुनाना
भला लगता है।
शोख चंचल ऑंखों में
शरारत का
तैर जाना
भला लगता है।
किसी की भीगी हुई
पलकों को
हॅंसाना
भला लगता है।
और मुझे
तेरा हौले से
मुस्कुराना
भला लगता है।
—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव,
अलवर(राजस्थान)