भला बुरा कब देखेगी
यह औरों का भला बुरा कब देखेगी
सियासत सिर्फ अपना मतलब देखेगी
झोंक देगी सबको नफ़रत की आग में
ना जात देखेगी ना मज़हब देखेगी
कितना भी पोशीदा कर लो गुनाहों को
वो जो निगाहे गैब है वो सब देखेगी
कोई नहीं आएगा तेरा गमख्वार बनके
यह दुनिया बस गम का सबब देखेगी