भलाई में सबकी अपना भला है।
भलाई में सबकी अपना भला है।
हमने भी खुद को कितना छला है।।
ताबीर उसने फिर पाई है अपनी ।
आंखों में ख़्वाब जितना पला है।।
इज़्ज़त के क़ाबिल इंसान है वो।
चेहरे पे जिसने पसीना मला है।।
साबित किया है उतना जहाँ में ।
जिसमें यहाँ पर जितनी कला है।।
भलाई में सबकी अपना भला है।
हमने भी खुद को कितना छला है।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद