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17 Aug 2023 · 1 min read

भरोसे

असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

जग की सुन लो अपनी मानों
खुद ही खुद का अपना समझो
वास्तविक कुछ हैं न जग में
सब है यादों के भरोसे
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

सूर्य के सम्मुख भी तुमने
चरागों को बेहतर है आँका
आँधियों में रात से तुम
ऊपर से चरागों के भरोसे??
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

कौन,कुछ,कब, क्या कहा है
न ज्यादा इसपे गौर करना
टूट कर बिखरगो तुम भी
जो रह गए वादों के भरोसे
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

दिल से दिल की बात खुलकर
अपने दिल से कर भी लेना
जो हुए फ़िदा दिल पे किसी के
होगे शराबों के भरोसे
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

प्रेम में अपठित विधा है
जो विधि से थोड़ी सी परे है
कायदे से जो भी मुकरे
वो…..विलापों के भरोसे
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे

मन को ढाई आख़र पढ़ा के
खुद ही खुद से प्रेम करना
दूजा चुनना ईश को ही
रहना न उन्मादों के भरोसे
असल प्रेम वैराग्य सा है
तुम गुलाबों के भरोसे
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Comment · 387 Views

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