Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2024 · 1 min read

भरोसा

भरोसा
भरोसे से भरोसे में भरोसा ही पनपता है।
भरोसा ही भरोसे के बिगड़े काम बनाता है।।
भरोसा है तभी तो पूजन ईबातत प्रार्थनाएं है।
जीवन खुद भरोसे के भरोसे ही तो चलता है ।।
– ओमप्रकाश भार्गव , पिपरिया

81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
यदि कोई आपको हमेशा डांटता है,तो इसका स्पष्ट रूप से अर्थ यही
यदि कोई आपको हमेशा डांटता है,तो इसका स्पष्ट रूप से अर्थ यही
Rj Anand Prajapati
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
ऐ!दर्द
ऐ!दर्द
Satish Srijan
👍कमाल👍
👍कमाल👍
*प्रणय प्रभात*
" प्रिये की प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
gurudeenverma198
3207.*पूर्णिका*
3207.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
रिश्तों की रिक्तता
रिश्तों की रिक्तता
पूर्वार्थ
"दर्द का फलसफा"
Dr. Kishan tandon kranti
आरज़ू है
आरज़ू है
Dr fauzia Naseem shad
फूल चेहरों की ...
फूल चेहरों की ...
Nazir Nazar
*Colors Of Experience*
*Colors Of Experience*
Poonam Matia
बधईया बाजे नंद बाबा घर में
बधईया बाजे नंद बाबा घर में
singh kunwar sarvendra vikram
लघुकथा कहानी
लघुकथा कहानी
Harminder Kaur
साल भर पहले
साल भर पहले
ruby kumari
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
Chitra Bisht
जीवन
जीवन
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
*लक्ष्मीबाई वीरता, साहस का था नाम(कुंडलिया)*
*लक्ष्मीबाई वीरता, साहस का था नाम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रास्तों के पत्थर
रास्तों के पत्थर
Lovi Mishra
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
Amulyaa Ratan
मेरी औकात के बाहर हैं सब
मेरी औकात के बाहर हैं सब
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दोहा छंद
दोहा छंद
Seema Garg
मैं कल के विषय में नहीं सोचता हूं, जो
मैं कल के विषय में नहीं सोचता हूं, जो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...