*भरे हों प्यार के सौ रंग, मैत्री की हो पिचकारी (मुक्तक)*
भरे हों प्यार के सौ रंग, मैत्री की हो पिचकारी (मुक्तक)
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भरे हों प्यार के सौ रंग, मैत्री की हो पिचकारी
प्रखर बंधुत्व के कोमल, गुलालों की हो तैयारी
न रखना याद मन के मैल, कोई शत्रुता पिछली
जला दो होलिका के संग, दिल की नफरतें सारी
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451