भरत
राम समर्पित रहे अवध में,
अवध सपर्पित राम था।
भरत अवध में रामसेतु थे,
फिर बना अयोध्या धाम था।।
हरपल रघकुल जिया राम को,
पूरे चौदह सालों तक।
हुए व्रती सब राजमहल में,
सियराम के आने तक।।
सिय लखन संग वन में,
अगर राम वनवासी थे।
पाकर रघुकुल जैसी सत्ता,
भरत लाल संन्यासी थे।।