भरत जी के हिय में
घनाक्षरी
रामसिय लखन की
खबर जु जावन की
भरत जी के हिय में
ज्वाला जलन लगी ।
मात कैकयी को पूछै
इधर उधर खोजै
मति भ्रष्ट मंथरा के
केश खीचन लगी ।
भातृ बिन नाहीं भावै
नाही कछु सूझ पावै
लीला त्रलोकी बिन तो
जिया पिसन लगी ।
चल पड़त कानने
रामसिय जी को लाने
खडाऊं प्रभुवर की
लेके लोटन लगी ।