भरत कुल 10
अब किरण हर्षा के घर पहुंचा । अचानक ,भैया को घर पर देखकर हर्षा हतप्रभ रह गई । उसने भैया का स्वागत करते हुए परिवार का हालचाल पूछा। किरण ने सभी का हाल अच्छा बताया, जब उसने अपने माता-पिता के बारे में बताया, कि, वे शहर छोड़कर गांव में निवास कर रहे हैं ,तो ,उसे बहुत दुख हुआ ।फिर उसने बाबा दादी और चाचा चाची के बारे में विस्तार से बताया। अंत में पूनम की चर्चा की।
बहन पहले तो उदास हुयी, फिर ,भाई की खुशी का ख्याल करके अपनी खुशी जाहिर की। किरण ने हर्षा को अपने घर पर आने का आमंत्रण दिया। व जीजा जी से बात करने के लिए कहा ।हर्षा ने उसी दिन हर्षित से बात की, और, किरण की कहानी हर्षित को सुनायी। हर्षा को साथ में भेजने हेतु हर्षित राजी हो गया । स्वयं भी बारात शामिल होने का आश्वासन दिया।
दो दिन विश्राम कर ,किरण हर्षा को लेकर शहर पहुंचा ।बाबा दादी हर्षा को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए । उन्होंने उससे ससुराल का हालचाल पूछा। सुखी जीवन के लिए उसे ढेर सारा आशीर्वाद दिया।
अगले दिन, किरण अपने माता-पिता व चाचा -चाची को लेने ग्राम रवाना हुआ ।ग्राम पहुंचकर सब का उचित स्वागत सत्कार कर किरण ने अपनी माँ से अपने परिवार का हाल कहा। पहले, तो ,मां नाराज हुई ।फिर ,वह पति से बात कर मान गयी। चाचा चाची भी किरण के साथ हैं। सबका सहयोग मिलने पर किरण का हौसला बढ़ा ,और सबको लेकर वह शहर पहुंचा।
अब उसने पूनम से मिलने का निश्चय किया। शहर पहुंचते ही उसने प्रथम पूनम से भेंट की। और, विवाह का प्रस्ताव रखा। पूनम पहले तो शर्मायी किन्तु, बाद में राजी हो गयी।अब उसे अपने माता-पिता को मनाना है। वे पुरानी सोच के हैं, नए जमाने के साथ जीना उन्होंने नहीं सीखा है इतने बड़े घर में विवाह की बात वो सोच भी कैसे सकते हैं। उन्होंने कुछ समय मांगा ,जिससे वे किसी निर्णय पर पहुंच सके।
एक सप्ताह के बाद ,पूनम के माता-पिता शहर आये, तो, उन्होंने किरण के माता-पिता से मिलने की इच्छा व्यक्त की। पूनम और उसके माता-पिता किरण के बाबा दादी से मिले। बातचीत अच्छे माहौल में संपन्न हुयी। पूनम ने सबका दिल जीत लिया। किरण और पूनम का विवाह पक्का हो गया। मिठाई बांटी जाने लगी ।किरण आज बहुत खुश है।
विवाह की तिथि तय होते ही रिश्तेदारों को निमंत्रण पत्र पहुंचाने का कार्य शुरू हो गया ।घर में देखते ही देखते रिश्तेदारों का जमावड़ा होना शुरू हो गया। घर में चहल-पहल होने लगी।
किरण और पूनम ने विवाह पूर्व किसी दर्शनीय स्थल पर फोटोशूट कराने का निश्चय किया। आजकल लड़के -लड़कियां विवाह पूर्व मिलन करते हैं। यह पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव है। हिंदू धर्म में विवाह पूर्व लड़का-लड़की का एकांतवास होता है। आजकल सचल भाष उपलब्ध है।विवाह पूर्व लड़के -लड़कियां दिन-रात आपस में वार्ता करते हैं। अपनी पसंद ना पसंद जाहिर करते हैं। उनकी विवाह उपरांत गृहस्थी की झंझटों से बचने का अनुभव होता है। विवाह पूर्व वे अभिनेता अभिनेत्री की तरह अपनी युवावस्था का आनंद लेते हैं। और विवाह उपरांत गृहस्थी की झंझटों में अपने- आप को पूर्ण रूप से समर्पित कर देते हैं। यह लड़के लड़कियों को आपस मे एक दूसरे को समझने में मदद करता है। विवाह की सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं।
सेहरा पहनकर किरण किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा है। किरण के माता- पिता का सपना पूर्ण हुआ। बारात रवाना हुयी, और ,विवाह मंडप पर मंत्रोच्चार के मध्य, सप्त फेरे और सिंदूर दान की रस्में निभाई जाने लगी ।सप्तपदी का निर्वाहन किया गया। और देर रात दो बजे तक विवाह संपन्न हो गया ।सभी बाराती जनवासे में विश्राम के लिए चले गये।
सुहागरात से पूर्व द्वार छेकनें की रस्म निभाई गयी। सभी साली-सरहजों ने पचास हजार की धनराशि ऐंठने के बाद ही किरण और पूनम को अपने कमरे में प्रवेश दिया। भाभियाँ हंसी ठिठोली कर रही हैं।
आखिर वह खड़ी आ पहुंची, जब किरण का सामना नववधू से होना है। पुष्पों से सजी शैय्या पर पूनम सकुचायी शर्मायी बैठी है। उसका मन किरण से मिलने का के लिए अत्यंत आतुर है। इतने दिनों के बाद उसने अपने प्यार को हासिल किया है। उधर, किरण के मन में लड्डू फूट रहे हैं। मित्र लोग तरह-तरह की राय देकर उसका हौसला बढ़ा रहे हैं। किरण ने प्रथम मिलन की रात एक सुंदर हीरे की अंगूठी पूनम को मुंह दिखाई में भेंट की है। पूनम बहुत खुश होती है। दोनों को अपना प्यार हासिल करने में बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं ,आखिर जीत प्यार की होती है ।दोनों एक दूसरे की आंखों में खो जाते हैं ।और, हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं ।उनका एक दूसरे पर विश्वास व समर्पण हर कसौटी पर खरा उतरता है। दोनों नव दम्पति नए जीवन का शुभारंभ रसगुल्ले से करते हैं।
समाप्त