भय का प्रताप
भय यह अंतहः उपज है,
स्वयं बना यह प्रलय है,
हृदय विदारक कंपन है ,
वृक्ष मूल का नाश है ,
आत्मविश्वास का विनाश है ,
तीव्र गति की चाल है ,
ओले की बौछार है ,
उन्नति का कंटक है ,
आशा की हताशा है ,
गिरावट का ग्राफ है,
दीमक की प्यास है,
आत्मदाह की आगाज है।
#रचनाकार- बुद्ध प्रकाश