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3 Aug 2023 · 1 min read

“ भयावह व्हाट्सप्प ”

“ भयावह व्हाट्सप्प ”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

================

कभी-कभी

व्हाट्सप्प के

दोस्त भी

अजीब होते हैं

बातें तो कम

होतीं हैं पर

बेतुकी पोस्ट

भेज देते हैं

मैंने तो जुड़के

उनसे सिर्फ

संवाद ही

करना चाहा था

अपनी बात

और दोस्ती को

आगे तलक ही

ले जाना था

जब भी

उत्सुकता से उनके

पोस्टों को

खोलके देखता था

सामने दिन के

हिसाब से ही

कोई ना कोई

पोस्ट आता था

शनिवार को

शनिदेव का फोटो

सोमवार को

सूर्यदेव दिखाता था

पर वरस बीत गए

ना बातें और

ना सामने कभी

भूलके आता था

इतना तक तो

ठीक था हमारी

दोस्ती की गाड़ी

चल रही थी

बाद में एक दौर

आया जब व्हाट्सप्प

की आकृति

बिगड़ रही थी

धार्मिक

असहिष्णुता की बातें

वह व्हाट्सप्प

पर फैलाने लगा

जातिगत हिंसा को

तो वह गर्व

से लोगों में उचित

ठहराने लगा

कुरितिओं का नंगा

नाच व्हाट्सप्प

पर बड़े शान से

मुझे भेजने लगा

राजनीति विचारों को

उत्तेजनात्मक

परिदृश्यों में

लगातार दिखाने लगा

कब तक इस तरह

के दोस्तों को

व्हाट्सप्प पर क्यूँ

मैं बनाये रखूँगा

झूठी अफवाहों

के दौर में कब तक

इस मित्र को

भला अपना कहूँगा !!

===============

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

साउन्ड हेल्थ क्लिनिक

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

03.08.2023

Language: Hindi
188 Views
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