Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 1 min read

भटकता इंसान

एक नई दुनियांं की तलाश में
भटकता इंसान ।
वर्तमान को नकारता
भविष्य की खोज
करता इंसान ।
सुकून की लालसा में
जगत से निकल
भागता इंसान।
एक अनदेखे सुख की तलाश में
प्राप्त खुशियों को नष्ट
करता इंसान ।
लेकिन ये तो निवृति है
ग्लानि और पलायन की ।
यह तो विरक्ति है
निष्कर्म बुद्धि की ।
नई दुनियांं तो
जन्म और मृत्यु के बीच है ।
जो आज है वो कल नही
जो कल है वो आज नही ।
इसलिए नई दुनियांं तो
यहीं है- यहीं है ।

Language: Hindi
85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने एहसास
अपने एहसास
Dr fauzia Naseem shad
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
4357.*पूर्णिका*
4357.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
surenderpal vaidya
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
Dr Archana Gupta
मां - हरवंश हृदय
मां - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
Sonam Puneet Dubey
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
संघर्ष का सफर
संघर्ष का सफर
Chitra Bisht
अनपढ़ प्रेम
अनपढ़ प्रेम
Pratibha Pandey
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
Moin Ahmed Aazad
ख्वाब में देखा जब से
ख्वाब में देखा जब से
Surinder blackpen
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कसक
कसक
Dipak Kumar "Girja"
किसी का सब्र मत आजमाओ,
किसी का सब्र मत आजमाओ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" इन्तेहाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
चाय पीते और पिलाते हैं।
चाय पीते और पिलाते हैं।
Neeraj Agarwal
बचाओं नीर
बचाओं नीर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
VINOD CHAUHAN
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
विनती
विनती
कविता झा ‘गीत’
😢आज की आवाज़😢
😢आज की आवाज़😢
*प्रणय प्रभात*
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
Ravi Prakash
उसका आना
उसका आना
हिमांशु Kulshrestha
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
पूर्वार्थ
ना फूल मेरी क़ब्र पे
ना फूल मेरी क़ब्र पे
Shweta Soni
Loading...