भजन- मोहनी सुरतिया ने मोह लियो मन मेरो
मोहनी सुरतिया ने मोह लियो मन मेरो
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मोहनी सुरतिया ने मोह लियो मन मेरो ,
कि तोतली बतिया ने मोह लियो मन मेरो । मोहनी ………
चले तो कटि पैंजनी बजत ,
हँसे तो द्विदतियाँ दिखलावत ।
तेरे द्विदतियाँ ने मोह लियो मन मेरो ।। मोहनी…..
जन्म लियो तो बेडीं खुलि गयीं ,
पद पखारिकें यमुना ढलि गयीं ।
वा काली रतिया ने मोह लियो मन मेरो ।।मोहनी..
रूप माधुरी पै बारी जावत ,
रैन – दिवस तेरी सुधि आवत ।
तेरी पिरतिया ने मोह लियो मन मेरो ।। मोहनी…..
बिसरा प्रीति गए हो जब से ,
ऊधों से खत भेजो तब से ।
वा योग के खतिया ने मोह लियो मन मेरो ।।मोहनी………….
सोवत – जगत कटत नहिं रतियाँ,
रहि – रहि कें याद आवत बतियाँ ।
प्रेम भरी बतिया ने मोह लियो मन मेरो ।।मोहनी…
स्वारथ बिना नेह तुमसे कीयो ,
दिन और रैन तड़फत है हीयो ।
नेह भरी रतिया ने मोह लियो मन मेरो ।।मोहनी…
:- डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज -: