भजन -जयश्रीकृष्ण
हे कृष्णमुरारी ,हे गिरिधरधारी ।
हे मुरलीधारी ,मकृराकृतकुण्डलधारी ।
कंठवैजंतीधारी , शीशमोरमुकुटधारी।
हे कान्हा ! तू दधिमुखलिपटाये ।
तू गोपिनका भरमाये।
तू राधासंगिरासरचाये ।
तेरी मनमोहनी सुरतिया ।
देखि देखि नंदबाबा यशोदा मैया ।
मनहिं मा एकदूजे का देखि हर्षाये ।
बारि बारि यही कहे अँखिया बसे छवि ऐसी।
सज्जो चतुर्वेदी********जय श्रीकृष्ण