*मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)*
मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)
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मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना
1
हम दिल से तुम्हें बुलाते, ढोलक की थाप बजा कर
हम माता तुम्हें रिझाते, फूलों से भवन सजा कर
गाऍं जो टूटा-फूटा, करना पसंद वह गाना
2
मॉं शब्दों को बिसराकर, भूलों पर ध्यान न देना
मन-तरंग को पढ़कर, भावों को ही बस ले लेना
मधुर महक से जब आओ, मॉं जग-भर को महकाना
3
थिरकन बनकर तन ओढ़ो, कुछ मृदुतम भाव जगाओ
तुतलाती बोली में धर कर, रूप बालिका आओ
अहोभाग्य है तुम्हें पालना, भोजन नित्य खिलाना
मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451