भगवान सा इंसान को दिल में सजा के देख।
गज़ल
221….2121….1221….2121
भगवान सा इंसान को दिल में सजा के देख।
तू दिल में अपने प्यार का मंदिर बना के देख।
हम तेरी इक अदा पे ही कुर्बान जायेंगे।
तू प्यार से तो एक दफा मुस्कुरा के देख।
चाहो जो पेड़ फूल हवा पानी और प्यार,
गांवों की ओर फिर से मेरे यार जा के देख।
लाना जमीन पर है अगर तुमको आसमान,
तू चांद औ सितारे जमीं पर बिछा के देख।
दुनियां में तेरे नाम का जलवा दिखेगा यार,
तू दीन औ’र दुखी के ज़रा गम मिटा के देख।
गम जिंदगी से दूर चले जायेंगे तमाम,
तू गीत कोई प्यार का तो गुनगुना के देख।
जो खो गया है प्यार में पाया नया जहान।
प्रेमी’ किसी से प्यार में तन मन भुला के देख।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी
स्वरचित और मौलिक