भगवान का मंदिर ही
बदलने दो उन्हें
जो हर पल ही
एक गिरगिट की तरह
अपने रंग बदलते हैं
अपने चेहरे के असली रंग तो
अकेला पड़ने पर ही दिखाते हैं
नहीं तो
न जाने
कितने मुखौटे और नकाब
लगाये फिरते हैं
अपना तो एक ही रंग है
और रिश्ता भी
अब तो बस प्रभु के साथ ही
गहराता जा रहा है
दुनिया के असली रंग
जब दिखते हैं
बस तभी भगवान का
मंदिर ही
एक ठुकराये हुए प्राणी का
स्थाई आश्रय स्थल बन जाता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001