— भगवान् एक सामान –
सब के जीवन में है भगवान्
कहीं वाहेगुरु , कहीं खुदा
कहीं जीजस और कहीं
पत्थर पर पूजते सब महान !!
जिस की जैसी मर्जी
लगा ही लेते हैं जाकर अर्जी
अब सुनाने को भागते सभी
चाहे हो फर्जी कुछ की अर्जी !!
उस की नजर में सब सामान
चाहे घर पूजे या पूजे हनुमान
फिर भी भटकता ही रहेगा
यह माटी का पुतला इंसान !!
मानो तो सब कुछ सामान
न मानो तो सब हैं अनजान
दिल में रखना सब सामान
न कोई छोटा न कोई हैवान !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ