भगवद् गीता के श्लोकों से
(१)अवनि अंबर अनिल अनल,
अंतस व अहंकार।
मिलकर आप: औ अकल,
अपरा अष्ट प्रकार।
–(आप:-पानी),(अकल-अक्ल बुद्धि)
(२)अष्ट अकार से विरचित ,
नश्वर जग का ठाट।
जीव बना मैं कर रहा ,
सौदा शुल्फ व हाट।
(३)अष्ट अकार अपरा है ,
परा मुझे ही जान।
मैं ही मरता जनमता ,
सत्य इसे ही मान।