भक्ति गीत
||सरसी छंद पर आधारित गीतिका||
प्राण चहे माधव प्रियवर को, धूप खिली नव भौर!
धर्म कर्म की किरणें उठती , बढ़ा भक्ति का ज़ोर !!
शांत हुआ मन राम नाम से , मिटें जाल अनजान !
जाग उठी पावन चित बगिया, श्याम मिलन पल जान!
दिव्य ध्यान के अवलंबन से , रश्मि पंथ चहुँऔर !
कनक किरण बसती अंतर में, बढ़ा भक्ति का जोर !!
पीड़ा देह श्वास में उठती , काल ग्रास अनुमान !
विरह ज्वार की आँधी घेरे, निरस हुआ भव जान!
अँखिया रोये बहती गंगा, हृदय विदारक शोर !
याद बसी चित प्राण पुकारे, बढ़ा भक्ति का जोर!!
मैं को भूला अंतर महका, गीत जगे नवनीत!
सद्गुरु चरण छाँव मधु गहरी,जाल कटें जगजीत!
दीप जले प्राणों का प्यारा, पाप मिट़े घनघोर !
मधुरस पाया कनक कटोरा, बढ़ा भक्ति का जोर!!
प्राण चहे माधव प्रियवर को, धूप खिली नव भौर!
धर्म कर्म की किरणें उठती , बढ़ा भक्ति का ज़ोर !!
छगन लाल गर्ग “विज्ञ” !