भक्ति की प्यास – भोले से अरदास
चहक उठा परिवेश है सारा, कैसी सुबह यह प्यारी है ।
कदम चलें खुद शिव की भूमि, किस्मत ख़ूब सँवारी है ।।
सज गए हैं दरबार भी देखो, गूंज उठे जयकारे हैं ।
व्याकुल मन भी पुलकित होए, बाबा साथ हमारे हैं ।।
अरदास है भोले दर पे तेरे, हाथ हमारे थामे रखना ।
भटकें ना हम जीवन के पथ, राह आसान बनाए रखना ।।
शीतल मन हो चाँद सा अपना, क्रोध की ज्वाला दूर रहे ।
नीलकण्ठ के नाम से मन में, अमृत रूपी धार बहे ।।
संकट कभी जो आए भोले, ध्यान ही तेरा हर पल होगा ।
रिश्ता पावन और पवित्र, प्यार कभी ना कम होगा ।।
रहेगी भक्ति ऊँची मेरी, कृपा अपनी बरसाए रखना ।
भटकें ना हम जीवन के पथ, राह आसान बनाए रखना ।।
भोले तेरे नाम से, मेरे बनते बिगड़े काम सभी ।
चाहे कितने दुःख हों लेकिन, भूलूँ ना यह नाम कभी ।।
आशीष प्रेम का सबको देना, मिल-जुलकर बस रहे संसार ।
मिटे भाव हर द्वेष का मन से, हों उतपन्न भक्ति के विचार ।।
हृदय के भीतर जगमग करती, शिव की ज्योत जलाए रखना ।
भटकें ना हम जीवन के पथ, राह आसान बनाए रखना ।।
“जय महाकाल, जय बैजनाथ”
{शिवालिक अवस्थी, धर्मशाला, हि.प्र}