भक्तिकाल
भाषा की सेवा किए, तुलसी सूर कबीर।
तीनों ने ही बदल दी, हिंदी की तस्वीर।।
राम कृष्ण पर काव्य लिख खोली दूजी राह।
मंदिर तोड़े न मरे, प्रभु राम बसे घट माहि।।
जय श्री सीताराम
भाषा की सेवा किए, तुलसी सूर कबीर।
तीनों ने ही बदल दी, हिंदी की तस्वीर।।
राम कृष्ण पर काव्य लिख खोली दूजी राह।
मंदिर तोड़े न मरे, प्रभु राम बसे घट माहि।।
जय श्री सीताराम