भंवरा
************** भंवरा *************
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उपवन में खिली कली पर भंवरा मंडराए,
सूंघ पुष्प की खुश्बू पल में भंवरा इतराए।
कच्ची कली कचनार की कानन में देखी,
देख-देख पागलपन में भंवरा टिक न पाए।
रंग-बिरंगी मनमोहक मदमस्त मतवाली,
तितलियाँ के झुंड में खड़ा भंवरा घबराए।
बागों में खूब सजी धजी रौनक ए बहारां,
रोक न पाए जब खुद को भंवरा शरमाए।
मनसीरत का है जवानी में यौवन है भारी,
जोबन के भरे भार को भंवरा सह न पाए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)