बढ़ता चल मुसाफ़िर
चलता चल रे मुसाफ़िर चलता चल जिंदगी के सफर में आगे, बढ़ता-चल
चलता-चल मुसाफ़िर_____
राह में फूल आए या आए शूल, बढ़ता-चल
ठहर न कभी तूफ़ानों के डर से; बढ़ता चल,
आँधियाँ कश्तियों को पार लगाएंगी;बढ़ता- चल,
राह कैसी भी हो सफर मजे से कर;बढ़ता चल,
चलता-चल मुसाफ़िर____
मत हार अधूरी राह पर; बढ़ता चल,
होश संवार; हो सवार बढ़ता चल,
अपने अंतर्मन को निखार; बढ़ता चल,
आंखों को आशा की दे पसार; बढ़ता चल,
चलता-चल मुसाफ़िर____
अपने अंतर्मन से खुद को पुकार;बढ़ता-चल,
आएगी एक दिन तेरी जिंदगी में बहार; बढ़ता-चल,
कर ले आजमाईश; दिल से; दिल को पुकार;बढ़ता-चल,
चलता-चल मुसाफ़िर______
Anil Kumar ”निश्छल”