बड़ी मग़रूर किस्मत हो गई है
हमें जबसे मुहब्बत हो गई है
मुहब्बत भी सियासत हो गई है
चलो फिर इश्क़ में खाते हैं धोखा
हमें तो इसकी आदत हो गई है
गया चैनो सुक़ूँ यानी के सब कुछ
कहें भी क्या के उल्फ़त हो गई है
जिए जाते हैं फिर भी देखिए हम
गो बेग़ैरत सी ग़ैरत हो गई है
फ़क़त हमसे है पर्दा क्या समझ लूँ
किसी की हमपे नीयत हो गई है
तेरे जाने से उजड़े घोसले सी
हमारे दिल की हालत हो गई है
दुहाई बारहा देने से ग़ाफ़िल
बड़ी मग़रूर किस्मत हो गई है
-‘ग़ाफ़िल’