बज़्म में छा जाता हूँ
22 + 22 + 22
बज़्म में छा जाता हूँ
जब शे’र सुनाता हूँ
मुँह फेरे है दुनिया
शीशा जो दिखाता हूँ
हैं क़ैद कई यादें
जिनमें खो जाता हूँ
मातम हो या खुशियाँ
गीत ग़ज़ल गाता हूँ
नींद से बाहर भी मैं
कुछ ख़्वाब सजाता हूँ
•••
22 + 22 + 22
बज़्म में छा जाता हूँ
जब शे’र सुनाता हूँ
मुँह फेरे है दुनिया
शीशा जो दिखाता हूँ
हैं क़ैद कई यादें
जिनमें खो जाता हूँ
मातम हो या खुशियाँ
गीत ग़ज़ल गाता हूँ
नींद से बाहर भी मैं
कुछ ख़्वाब सजाता हूँ
•••