ब्रह्म से बड़ा
वेदप्रोक्त काव्य शिल्प साधना सदैव मान
शारदा कृपा निमित्त शब्द का श्रृंगार है।
जो करे विलोम साधना उसे अशुद्ध जान
आसुरी प्रवृत्ति से गया सदैव हार है।
छन्दबद्ध सर्जना महान पुण्य किन्तु बन्धु
आज नष्ट काव्य का हुआ बड़ा प्रसार है।
शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म और है निनाद ब्रह्म
ब्रह्म से बड़ा परन्तु शब्द शिल्पकार है।।
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ