ब्रह्मांड संरचना के तत्व
संपूर्ण ब्रह्मांड की संरचना के दो तत्व हैं , प्रथम प्रत्यक्ष एवं द्वितीय अप्रत्यक्ष।
प्रत्यक्ष जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं , और उनकी संरचना को समझ सकते हैं।
दूसरे अप्रत्यक्ष जिन्हें हम केवल अनुभव कर सकते हैं परंतु उन्हें देख नहीं सकते हैं। जैसे प्राणवायु, तापमान , गुरुत्वाकर्षण , चुंबकीय शक्ति, विद्युत शक्ति, इत्यादि परंतु अपने अनुभव के आधार पर इन अप्रत्यक्ष तत्वों की तीव्रता वैज्ञानिक आधार पर माप सकते हैं।
ब्रह्मांड की संरचना में विभिन्न आयामों का महत्व है। अब तक प्रचलित 3 आयाम थे परंतु अब विभिन्न वैज्ञानिक अन्वेषण से ब्रह्मांड की संरचना में 7 आयाम पाए गए हैं। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि ब्रह्मांड में 11 आयाम स्थित है।
ब्रह्मांड में प्रत्यक्ष तत्वों में जड़ एवं जीव तत्वों का समावेश है। जिसमें जल ,थल एवं नभचर जीव शामिल है। जीवो की श्रेणी में वनस्पति एवं विचरण करने वाले जीव एवं सूक्ष्म जंतु आते हैं।
जीवंत रहने की दशा में जीवो में दो तत्व प्रमुख रूप से पाए जाते हैं इसमें प्रत्यक्ष रूप में स्थूल शरीर एवं अप्रत्यक्ष रूप में सूक्ष्म शरीर जिसे आत्मा रूप से परिभाषित किया गया है।
यह धारणा है कि स्थूल शरीर का संचालक यह सूक्ष्म शरीर है जो उसे जीवित रहने एवं कार्यकलापों को करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है एवं स्थूल शरीर की समस्त इंद्रियों को संचालित करता है। इस आत्मा रूपी ऊर्जा के ना होने पर स्थूल शरीर निष्क्रिय होकर मृत्यु को प्राप्त होता है।
अध्यात्म की दृष्टि से आत्मा अजर अमर है।
मृत्यु गति को प्राप्त होने पर वह उस शरीर से निकलकर दूसरा शरीर धारण करती है।
या परम गति की दशा में मोक्ष को प्राप्त कर ब्रह्मांड की परम शक्ति में विलीन हो जाती है।
एक शरीर को छोड़कर दूसरा शरीर धारण करने के अंतराल में यह वातावरण में विचरित करती रहती है। जो एक ऊर्जा के रूप में विशेष रुप से अनुभव की जाती है। इसे परामनोवैज्ञानिक विशेष उपकरणों के माध्यम से मापने में सफल रहे हैं।
यह ऊर्जा कुछ व्यक्ति विशेष को प्रभावित करने में सक्षम होती है और उनके मानस पटल को प्रभावित कर स्वरूप धारण कर स्वयं के अस्तित्व को प्रकट करती है। और अपनी ऊर्जा के प्रभाव को दर्शाने में भी सक्षम होती है।
अतः ब्रह्मांड की संरचना एवं समस्त आयामों में स्थित जीव एवं जड़ तत्वों का संचालन में किसी परम शक्ति का प्रभाव प्रतीत होता है।
पर अभी तक किए गए वैज्ञानिक अनुसंधान एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ब्रह्मांड एक अबूझ पहेली है।