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20 Sep 2018 · 1 min read

ब्रज भाषा

हाँ मैं ही ब्रज भाषा हूँ
कृष्ण की प्यारी हूँ मैं
ब्रजभूमि की सुकमारी हूँ मैं

काहे शर्माते हो
ब्रज बोली बोलन में
हमे तो नाज है
अपने मोहन पे

बोलत थे तुतला कर जब
मैया मैं नाय माखन खायो
गोपी से ले के ग्वाल तक
मोहित है कर हो जाते मदहोश

ऐसी मीठी बोली जो
बोली ब्रज में ही जावे
तीन लोकन में सब को
मन सूनवे को ललचावे

ब्रज रज की महिमा तो
ब्रह्म से भी वर्णनं ना करो जावे।

जो रस या बोली में है
वो कहूँ और नजर ना आवे।

धन्य धन्य ये ब्रज भूमि
जामे सभी देवता आयके विराजे

धन्य धन्य है संध्या जो
ब्रज भूमि में जन्म लियो

लेखन में थोड़ो हाथ आजमावे।।
मेरी बोली ही ब्रज भाषा कहलावे।।

संध्या चतुर्वेदी
मथुरा उप

Language: Hindi
654 Views
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