बौआ करि ज्ञान के अर्जन,
बौआ करि ज्ञान के अर्जन,
अहीं पर अछि अास हमर।
सकल मनोरथ दीप हमर छी,
एक मात्र छी खास हमर।।
धर्म हमर छी कर्म हमर छी,
पौरुष छी विश्वास हमर।
मनक मर्म अछि निहित अहिं मे,
व्रत यज्ञ उपवास हमर।।
मातृभूमि केर बनि उद्धारक,
कौलिक कुसुम बनब बौआ,
श्रेष्ठ शिष्ट सुजन ज्ञानी बनि,
सभहक पीड़ हरब बौआ।।
मैथिल विमल बनब मृदुभाषी,
मुदा प्रपंची नञि बौआ।
सरल सहज मन सदिखन राखब,
पेट मे कैंची नञि बौआ।।
महान्यायवादी मैथिल बनि,
न्यायक बनी महावक्ता।
भेल अनहार जनकक धरती अछि,
न्यायज्ञक बेसी खगता।।