बोल लेखनी कुछ तो बोल
बोल लेखनी कुछ तो बोल
बोल लेखनी कुछ तो बोल,
भीतर छुपा क्या राज है।
झूठ फरेब बहुत कुछ लिखती ,
सच में क्या एतराज है।
प्रशंसा की चाटुकारिता नित, अविरल बरसे बरसात है।
दो टूक शब्द सच्चाई के,
लिखने में क्या घबराहट है।
दब जाती है तू भी जा कर,
चंद ,चांदी की तिजोरी में।
गूंगी बहरी बन जाती है ,
काहे तू कारगुजारी में।
तू तलवार से पैनी और
अति भारी से भारी है।
चल कर तू दुष्ट सफाया ,
तू शूरवीर बलकारी है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)