बोल के लब आजाद है
हमारा हक़, हमारी आवाज़ है।
खामोशी के जाल को तोड़ेंगे,
अपने हक़ का परचम लहराएंगे।
सदियों से जो बंदिशें हैं,
वो अब टूटनी चाहिए।
हर जंजीर जो बांधे हमें,
वो अब खुलनी चाहिए।
हम अपने हक़ की बात करेंगे,
हर सपने को साकार करेंगे।
जो रास्ते थे बंद हमारे,
अब उन्हें हम पार करेंगे।
आवाज उठेगी हर जुबां से,
ख़्वाब अब डर से न सोएंगे।
आजादी की राह पर चलेंगे,
हर अंधेरे को रोशनी देंगे।
बोल के लब आज़ाद हैं,
हमारी सोच, हमारा इम्तिहान है।
अब ना कोई खौफ बाकी रहेगा,
हमारा हर कदम आज़ाद रहेगा।