बोली समझी जा रही
कुंडलिया छंद…
बोली समझी जा रही, हिन्दी अब संसार।
तकनीकी व्यापार ने, इसका किया प्रसार।।
इसका किया प्रसार, विदेशी हिन्दी पढ़ते।
उपयोगी संचार, कदम दुनियां में बढ़ते।।
भरे शब्द भंडार, भरी भावों से झोली।
हिन्दी भाषा आज, विश्व में जाती बोली।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)