बोली चिड़िया डाली डाली
बोली चिड़िया डाली डाली
उपवन की कर लो रखवाली ,
पहले शिकार बस मैं ही थी
अब पात पात भी चुन डाली ।
गिन गिन काटे तरुवर सारे
लूट लिये सब चमन हमारे ,
देखो कैसी दशा हुई है
सूखे में बदली हरियाली ।
बहुत हो गया अब मत काटो
खेत वनों को और न छाँटो,
बने शिकारी जाल बिछाया
हर ली अपनी ही खुशहाली ।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी ,सम्भल