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22 Jan 2019 · 1 min read

बोझ के पहलू अनेक

जब हो काम के प्रति
उत्साह , लगन
तो
नहीं लगता
बोझ वह

माता पिता को
नहीं लगते बोझ बच्चे
वह रूखा सूखा
खाते है
पैदल चलते है
गीले में सोते है पर
बच्चों को नही होने देते
अभाव जीवन में
किसी चीज का

सिर पर तगारी
लेकर दिनभर काम
करता है मजदूर
लेकिन उसे लगता नहीं
बोझ वह
क्यो कि उससे जुड़ा है
पालन पोषण
परिवार का उससे

बड़े होने पर जब
बेटा हो जाता है
बीवी बच्चों वाला
और मिल जाती है
धन सम्पदा उसे
तब लगने लगते है
बोझ वह

बोझ का नहीं है
पैमाना कोई
जब तक स्वार्थ है
जिम्मेदारियां बोझ नहीं
वरना एक तिनका भी है
बोझ वह

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 245 Views
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