Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2022 · 3 min read

बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)

बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
अखबार के दफ्तर में मेरा जिम्मा या तो रिपोर्ट लिखने का रहता था या इंटरव्यू और यदा-कदा पुस्तक समीक्षाओं का होता था। एक बार मेरे पास एक कविता संग्रह आया और मुझे बताया गया कि तुम्हें इसकी समीक्षा लिखनी है ।खुद बॉस ने बुलाया और कहा कि मैंने सुना है कि दफ्तर में तुम सबसे अच्छी समीक्षा लिखते हो । पहले तो मैं बहुत खुश हुआ कि चलो मेरी तारीफ हो रही है लेकिन यह तो बाद में पता चला कि बकरा कटने वाला है , जब बॉस ने बताया कि यह कविता संग्रह मेरी पत्नी का लिखा हुआ है और इसकी बहुत अच्छी समीक्षा आनी चाहिए।
मैं जानता था कि कविता संग्रह कूड़ा होगा, बकवास होगा और इस असार संसार में जो कुछ भी सार- रहित है, वह सब कुछ बॉस की पत्नी की पुस्तक में होगा। खैर मैं पुस्तक को सर माथे पर लगा कर बॉस के दफ्तर से उठा और मेरे माथे पर परेशानी के चिन्ह दिख रहे थे । सबसे पहले तो मैं यह विचार करने लगा कि दफ्तर में आखिर किसने मुझ से जन्म- जन्मांतरों की दुश्मनी निकाली है, जो मुझे बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा का कार्य दिया गया।
खैर जो भी हो ,मैं घर आया ।पुस्तक पढ़ी और जैसा कि मैं समझता था पुस्तक में प्रशंसा करने योग्य कुछ भी नहीं था। आप समझ सकते हैं बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा करनी है । पुस्तक कूड़ा है और उसे हम कूड़ा बता भी नहीं सकते ।आखिर दफ्तर में नौकरी जो करनी है ।अगले दिन मुंह दिखाना है ।अब क्या किया जाए… सांचे से तो जग नहीं और झूठे मिले न राम ….पुरानी कहावत सामने आ गई। इधर खाई उधर कुँआ.. अजीब मुश्किल.। हमने अपना पुराना नुस्खा निकाला और पुस्तक समीक्षा लिखी। आप भी आनंद लीजिए :-
“उभरती हुई कवयित्री का यह काव्य संकलन इस दृष्टि से प्रशंसा के योग्य है कि कवयित्री में अपार संभावनाएं भविष्य के लिए जान पड़ती हैं। कविता लिखने का जो उत्साह कवयित्री में है ,उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहा जा सकता । जितनी अधिक संख्या में, जितने कम समय में कविताओं के लिए कवयित्री ने काम किया है, वह अपने आप में एक मिसाल है । कम ही लोग इतनी कम आयु में कविताएं लिख पाते हैं। उसको प्रकाशित करके जन-जन तक पहुंचाने का काम जो कवयित्री ने अपने हाथ में ले लिया है ,वह प्रशंसा के योग्य है । कम ही लोग कविताएं लिखने में रुचि रखते हैं और उनमें से थोड़े ही लोग अपने धन को खर्च करके उन कविताओं को पुस्तक रूप में प्रकाशित करा पाते हैं ।अपने व्यस्त जीवन में घर- गृहस्थी तथा परिवार से समय निकाल कर कविताओं को एक बार लिख कर कवयित्री में समाज पर जो उपकार किया है , वह प्रशंसा के योग्य है । मैं जानता हूं कि उन कविताओं को एक बार लिखने के बाद दोबारा उन पर दृष्टिपात करने के लिए कवयित्री को समय कहां मिला होगा ? लेकिन व्यस्तताओं के बाद भी कविताओं को लगातार लिखते रहना और उनका चाहे जैसा भी संकलन आते रहना, यह एक बड़े ही आत्मबल की बात होती है । कविता संग्रह में अच्छाइयां और गुण स्थान स्थान पर बिखरे हुए हैं , सहृदय व्यक्ति को वह ढूंढने से अवश्य ही मिल जाएंगे। यह तो व्यक्ति की दृष्टि पर निर्भर करता है कि वह उनमें से अच्छे भाव ग्रहण करे , उनकी प्रशंसा करे या फिर केवल लय पर ही अपनी दृष्टि को टिका दे और मात्राओं के दोष गिनता रहे । मैं एक बार पुनः कवयित्री को उनके कविता संग्रह के प्रकाशन पर बधाई देता हूं । मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।”
*******************************
लेखक :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश //मोबाइल 99976 15451

226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
कोई आदत नहीं
कोई आदत नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Know your place in people's lives and act accordingly.
Know your place in people's lives and act accordingly.
पूर्वार्थ
सुबह, दोपहर, शाम,
सुबह, दोपहर, शाम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
वो शिकायत भी मुझसे करता है
वो शिकायत भी मुझसे करता है
Shweta Soni
■ आदी हैं मल-वमन के।।
■ आदी हैं मल-वमन के।।
*प्रणय प्रभात*
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
Rj Anand Prajapati
देवमूर्ति से परे मुक्तिबोध का अक्स / MUSAFIR BAITHA
देवमूर्ति से परे मुक्तिबोध का अक्स / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
गुरुर ज्यादा करोगे
गुरुर ज्यादा करोगे
Harminder Kaur
मुहब्बत
मुहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
Vishnu Prasad 'panchotiya'
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
गए हो तुम जब से जाना
गए हो तुम जब से जाना
The_dk_poetry
कदमों में बिखर जाए।
कदमों में बिखर जाए।
लक्ष्मी सिंह
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
भारत की सेना
भारत की सेना
Satish Srijan
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
आखिर वो माँ थी
आखिर वो माँ थी
Dr. Kishan tandon kranti
जामुनी दोहा एकादश
जामुनी दोहा एकादश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2682.*पूर्णिका*
2682.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
Ravi Prakash
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
Rohit Gupta
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
ॐ शिव शंकर भोले नाथ र
Swami Ganganiya
Loading...