बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
अभिनव वर्ष प्रतीक है, बैसाखी त्योहार।
धूमधाम से पर्व को, जीतें हैं सरदार।।/ 1
दसवें गुरु गोविंद सिख, दिया खालसा पंथ।
बैसाखी उत्सव तभी, लिखा गया गुरु- ग्रंथ।।//2
फसलोत्सव का पर्व है, बैसाखी त्योहार।
मीठा बाँटे नृत्य कर, गले लगाएँ यार।। //3
शाँति प्रेम सद्भाव का, बैसाखी उपहार।
साहस देकर रीति से, दूर करे मन भार।।//4
फ़सल कटाई हो शुरू, बैसाखी शुरुआत।
अन्न मिले तो तन चले, बनती रात प्रभात।।//5
बैसाखी आनंद दे, धोए दिल का खार।
हृदय-हृदय से हर मिला, घोले केवल प्यार।।//6
धूम ढोल अरु भांगड़ा, मेलों की हो शान।
देखो गिद्दा नृत्य भी, बैसाखी पहचान।।//7
आर. एस. ‘प्रीतम’