बैबी डोल यहाँ-वहाँ मत डोल(कनिका कपूर)
बैबी डोल!यहाँ-वहाँ डोल,-
कर आई कितनों का डिब्बा गोल।
तू कपूर-कपूर-सी उड़ती,
नहीं समझती है जीवन का मोल।
दहशत में हैं अब वो सारे,
अरे!जो आए सम्पर्क तुम्हारे।
हम डूबे,तुम्हें लिए डूबे,
ये लक्षण हो गए नाज़ तुम्हारे।
तुमको अपना रोग पता था,
कोरोना ही देख तुझे लगा था।
संक्रमण रोग जान लिया था,
फिर भी छुपाया हृदय ना जगा था।
सुनो!देश से गद्दारी है,
ग़लती की तूने बड़ी भारी है।
परिवार तुम्हारा संकट में,
उसको भी हो सके बीमारी है।
16-19
–आर.एस.प्रीतम